CRED को ₹5215 करोड़ का घाटा, फिर भी कुनाल शाह क्यों हैं स्टार्टअप आइकन?
हाल ही में डेलॉयट के सीनियर कंसल्टेंट आदर्श समालोपनन ने LinkedIn पर एक पोस्ट की, जिसमें उन्होंने मशहूर उद्यमी कुनाल शाह की कंपनियों के लगातार घाटे को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा —
“2010 में Freecharge की शुरुआत हुई, 2015 तक ₹35 करोड़ की कमाई के मुकाबले कंपनी को ₹269 करोड़ का घाटा हुआ। Snapdeal ने इसे ₹2,800 करोड़ में खरीदा, लेकिन दो साल बाद Axis Bank ने सिर्फ ₹370 करोड़ में ले लिया।”
CRED का हाल?
शाह की नई कंपनी CRED, जिसकी शुरुआत 2018 में हुई थी, उसने अब तक ₹4,493 करोड़ की कमाई की है लेकिन ₹5,215 करोड़ का शुद्ध घाटा भी हुआ है। 15 साल में अब तक एक भी साल कंपनी मुनाफे में नहीं रही।
समालोपनन ने तंज कसा — “15 साल में एक भी प्रॉफिट नहीं — फिर हम इन्हें सेलिब्रेट क्यों कर रहे हैं?”
कुनाल शाह का जवाब
शाह ने इस टिप्पणी का सम्मानजनक जवाब दिया:
“बिलकुल सही। हमें उन हजारों उद्यमियों का भी जश्न मनाना चाहिए जिन्होंने बिना बाहरी पूंजी के मुनाफे वाली कंपनियाँ खड़ी की हैं।”
साथ ही उन्होंने जोड़ा, “जोखिम लेने वालों को सपोर्ट मिलना चाहिए। AI के युग में जॉब ढूंढना भी एक बड़ा जोखिम होगा। हमें जॉब क्रिएटर्स की ज़रूरत है।”
इंटरनेट पर बंटी राय
यह पोस्ट वायरल हो गई और लोगों की राय दो भागों में बंट गई:
कुछ लोग बोले: “बिलकुल सही कहा! इतने घाटे में चलने वाली कंपनियाँ कैसे इतना वैल्यूएशन पाती हैं?” दूसरे बोले: “Freecharge और CRED ने यूजर बिहेवियर बदला है। Profit हर चीज़ नहीं होता। Amazon भी कई साल घाटे में था।”
क्या सिर्फ प्रॉफिट ही सफलता है?
इस बहस से एक बड़ा सवाल उठता है — क्या सिर्फ मुनाफा ही किसी स्टार्टअप की सफलता का पैमाना है? या फिर बदलाव लाने की क्षमता, यूज़र अनुभव और तकनीकी नवाचार भी उतने ही ज़रूरी हैं? कुनाल शाह पर आलोचना भी जायज़ है और प्रशंसा भी। जहाँ एक ओर वित्तीय घाटा चिंता की बात है, वहीं उनकी कंपनियाँ भारत के डिजिटल पेमेंट्स और फाइनेंशियल अवेयरनेस में बदलाव ला चुकी हैं।
शायद यही वजह है कि शाह की यात्रा पर नज़रें हैं — और बहसें भी।


