माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने आधिकारिक रूप से पाकिस्तान से अपने 25 साल पुराने ऑपरेशंस को पूरी तरह से बंद करने का फैसला लिया है। यह खबर न सिर्फ टेक इंडस्ट्री के लिए, बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और वैश्विक निवेश छवि के लिए भी एक बड़ा झटका मानी जा रही है।
25 वर्षों की यात्रा हुई समाप्त
साल 2000 में माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में अपने ऑपरेशंस की शुरुआत की थी। इस दौरान कंपनी ने डिजिटल साक्षरता, तकनीकी ट्रेनिंग और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब कंपनी ने सभी कर्मचारियों को औपचारिक रूप से सूचित कर अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं।
जव्वाद रहमान, जो कि पाकिस्तान में Microsoft के पहले डायरेक्टर रहे, ने इसे “एक युग का अंत” कहा और लिंक्डइन पोस्ट के ज़रिए अपना अनुभव साझा किया।
क्यों समेटा गया कारोबार?
Microsoft ने भले ही औपचारिक कारण साझा नहीं किए हैं, लेकिन टेक और इकॉनॉमी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसके पीछे प्रमुख कारण हैं:
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पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता
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अस्थिर आर्थिक माहौल
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भारी टैक्सेशन और नीति में बार-बार बदलाव
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विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और आयात पर निर्भरता
इन स्थितियों ने विदेशी कंपनियों के लिए माहौल को असहज बना दिया है।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर खतरा
2024 के अंत तक पाकिस्तान का व्यापार घाटा $24.4 बिलियन तक पहुँच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और निवेशकों के मन में बढ़ते डर के चलते देश का डिजिटल और तकनीकी भविष्य अब और भी संदिग्ध हो गया है।
पूर्व राष्ट्रपति ने जताई चिंता
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने माइक्रोसॉफ्ट के इस कदम को देश के लिए “भविष्य पर चिंताजनक संकेत” बताया। उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान अब अनिश्चितता के भंवर में फंसता जा रहा है।”
माइक्रोसॉफ्ट ने निभाई थी अहम भूमिका
पिछले दो दशकों में Microsoft ने पाकिस्तान में:
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टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया
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कंप्यूटर लैब और ट्रेनिंग की सुविधा दी
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युवाओं के लिए नौकरियों और डिजिटल साक्षरता के अवसर पैदा किए
आगे क्या?
Microsoft के इस निर्णय से अन्य मल्टीनेशनल टेक कंपनियों में भी चिंता बढ़ी है। अब कोई भी कंपनी पाकिस्तान में निवेश करने से पहले कई बार सोचेगी, जिससे टेक्नोलॉजी और आर्थिक विकास पर दीर्घकालिक असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
Microsoft का पाकिस्तान से बाहर जाना सिर्फ एक कंपनी का निर्णय नहीं, बल्कि यह एक संकेत है कि वैश्विक कंपनियों के लिए अनुकूल माहौल न होना किस कदर राष्ट्रीय प्रगति को रोक सकता है। पाकिस्तान को अपने नीतिगत और आर्थिक हालात सुधारने की ज़रूरत है ताकि वो फिर से निवेश के लिए एक भरोसेमंद गंतव्य बन सके।